🚀 Join Our Telegram खुश रहने और अपने लक्ष्य पाने का विज्ञान! परफेक्ट टाइम मैनेजमेंट सीक्रेट्स /The Secret to Happiness and Success: Perfect Time Management Tips Revealed

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खुश रहने और अपने लक्ष्य पाने का विज्ञान! परफेक्ट टाइम मैनेजमेंट सीक्रेट्स /The Secret to Happiness and Success: Perfect Time Management Tips Revealed

 

खुश रहने और अपने लक्ष्य पाने का विज्ञान! परफेक्ट टाइम मैनेजमेंट सीक्रेट्स /The Secret to Happiness and Success: Perfect Time Management Tips Revealed



 



इस कोर्स की शुरुआत करते हैं एक hypothetical सवाल से। Imagine करो दोस्तों, आप दुनिया के सबसे अमीर आदमी हो। जितने पैसे आपको चाहिए, उतने पैसे आपके पास हैं। आप इतने अमीर हो कि आप जो चाहो वो खरीद सकते हो और आपके पास इतना समय है कि आप जब चाहो, जो चाहो कर सकते हो। ऐसे में एक सवाल मैं आपसे पूछना चाहूँगा। अगर आप इस situation में होते तो आप अपना समय किन चीजों में लगाते?


अगर आप ये सवाल मुझसे पूछते जब मैं 10 साल का बच्चा था, तो शायद मैं जवाब देता कि मैं तो best video games खरीदता और दिनभर video games खेलता रहता। फिर मैं cinema hall में movies देखने जाता और हर शाम एक movie देखता, और मैं ढेर सारा खाना मंगाता बाहर से और pizza खाता दिनभर। ये बड़े innocent से जवाब हैं। एक बच्चे के मन में यही ख्याल आएंगे इस सवाल को सुनकर, लेकिन मैं चाहता हूँ कि आप seriously सोचो।


अगर आपके पास सच में unlimited पैसे होते, तो क्या आप अपना समय इन चीजों में लगाते? क्या आप दिन में 10-10 घंटे Instagram और Facebook पर scroll कर रहे होते, या फिर Netflix पर 10-10 घंटे दिन में movies देख रहे होते, या फिर video games खेल रहे होते, computer पर रात-रात बैठकर? नहीं, imagine करके देखो अपने आपको इस situation में। कैसी feeling आती है अंदर से, अगर आपके पास unlimited पैसा है, unlimited time है, और आप अपना समय सिर्फ़ Facebook, Instagram, Netflix, और computer games खेलने में लगा रहे हो।



मुझे तो ये चीज़ imagine करके ही अंदर से depressing सी feeling आती है। और मुझे लगता है, आप में से 99% लोग जो इस video को देख रहे हो, आपको भी यही feeling आ रही होगी कि आप इन चीजों में अपना समय नहीं लगाते।


और बाकी 1% जो लोग हैं, जो शायद 10 साल के बच्चे इस video को देख रहे हैं, मैं चाहता हूँ आप पूरी attention दो इस class पर। अच्छा, लेकिन seriously बात करें, यह चीजें आखिर क्यों गलत हैं? क्या problem है इन चीजों में? Problem यह है कि जितनी भी चीजें मैंने list की हैं यहाँ पर, Instagram पर scroll करना, reels देखना, computer पर games खेलना, या Netflix पर समय बिताना - ये सारी चीजें short-term dopamine boost देती हैं। Dopamine हमारे brain में एक hormone होता है जिसे feel-good hormone कहते हैं। जब ये hormone release होता है, तो हमें अच्छी feeling आती है अंदर से।


जब आप ये सारी problematic चीजें करते हो, तो आपके brain में जो dopamine का hormone है, वो short-term के लिए एकदम ऊपर चला जाता है। तो short-term के लिए आपको अंदर से बड़ी खुशी मिलती है। लेकिन बार-बार ये करने से होता क्या है कि उस hormone का sensitization खराब हो जाता है। 


आपकी body desensitized हो जाती है और दुबारा से वही spike लाने के लिए आपको और extreme में वो चीजें करनी पड़ती हैं। इसका मतलब ये है कि जितना ज्यादा आप इन problematic चीजों में अपना समय बिताओगे, उतना ही ज्यादा time के साथ-साथ आपके अंदर unhappiness की feeling आने लगेगी। आपको mood swings होने लगेंगे, बड़ी आसानी से आप irritate होने लगोगे चीजों से, गुस्सा आसानी से आएगा, ज्यादा dissatisfied feel करने लगोगे आप अलग-अलग चीजों से।





क्योंकि ये सारे short-term pleasures हैं जिनसे आपको long-term happiness नहीं मिलती। यही कारण है कि अगर मैं आपसे कहूँ कि अगले 10 मिनट तक आप Instagram की reels पर scroll कर लो और comedy reels देख लो, जो आपका मन कर रहा है करो, लेकिन सिर्फ 10 मिनट तक करो। तो आपको अच्छा लगेगा, खुशी मिलेगी। लेकिन अगर यही चीज आप 3 घंटे तक करोगे, तो 3 घंटे के बाद आप बहुत irritable बन जाओगे, गुस्सा आने लगेगा और dissatisfied feel करोगे। 


यही कारण है कि जब मैंने hypothetical example लिया, मैंने कहा कि imagine करो आप 10 घंटे तक Netflix देख रहे हो और reels पर scroll कर रहे हो। Imagine करने से ही अंदर depressing सी feeling आने लगती है क्योंकि इन short-term pleasures को ज्यादा करने से हमें अंदर से regret, anxiousness और disappointment होती है। 


Actually में junk food भी इसी तरह है। जब आप अपनी body को खराब खाना खिलाते हो, बड़ा oily, deep-fried खाना खाते हो, जैसे कि french fries, तो short-term के लिए जब उसे खा रहे होगे तब अच्छा लगेगा। लेकिन उसके बाद एक अजीब सी feeling आती है, अच्छा नहीं लगता। Imagine करो, अगर आपको कल और परसों तीनों meals के लिए breakfast, lunch, dinner सिर्फ और सिर्फ McDonald's के burgers खाने को मिलेंगे। 


पहली meal में burger खाओगे, अच्छा लगेगा, दूसरी meal में ठीक-ठाक लगेगा, लेकिन तीसरी meal तक आप कहोगे, "भाई, क्या हो रहा है, मैं नहीं खा सकता इसे और।" 


तो एक बड़ा सवाल यहाँ पर उठता है कि अगर इन चीजों से हमें खुशी नहीं मिलती, तो किन चीजों से हमें खुशी मिलती है? किन चीजों से हमें long-term happiness मिलती है? इसका जवाब अलग-अलग लोगों के लिए अलग-अलग हो सकता है। थोड़ा video को pause करो और सोच कर देखो। 



मुझे personally ये feeling आती है जब भी मैं कोई intense physical activity करता हूँ, जैसे कि एक घंटे तक swimming करी, लंबी walk करी, पंद्रह मिनट तक तेज running करी या कोई भी sports खेलना। दूसरा, कोई भी complex, meaningful problem को solve किया हो। अगर आप engineer हो और कोई complex coding problem solve कर रहे हो, तो solve करने के बाद आप fulfilled feel करोगे। 


तीसरा, दूसरों की मदद करना। जैसे कि जानवरों की मदद करना, पेड़ों की plantation करना या किसी भी तरह का creative work करना। नई जगहों को explore करना, नई चीजें सीखना, जैसे कि कोई नई skill या language सीखना। या फिर नए ideas पर काम करना, जैसे कि नया startup या नया business करना। 


Progression भी एक तरीका है happiness पाने का। Career में next level पर जाना, ज्यादा पैसे कमाना, business grow करना, इनसे भी satisfaction मिलती है। 


अंत में, जब आप अपने परिवार या दोस्तों के साथ time बिताते हो, और time बिताने का मतलब ये नहीं कि phone पर लगे हो, बल्कि साथ में कुछ activity करना, बातचीत करना, तो भी एक general happiness की feeling आती है।




ये हैं वो 9 points, जिन्हें मैं कहता हूँ the 9 pillars of happiness: 


1. Physical activity करना

2. Complex, meaningful problems solve करना

3. दूसरों की मदद करना

4. Creative work करना

5. नई जगहों को explore करना

6. नई चीजें सीखना

7. New ideas पर काम करना

8. अपने पसंदीदा लोगों के साथ समय बिताना

9. Progression in career, job, or business 


मेरा मानना है कि इन 9 pillars में से किसी एक category में हमारी long-term happiness का सही जवाब मिलेगा।

BALANCING YOUR LIFE 




पने लिए अपने तरह का balance बनाने के लिए अपने काम और जिंदगी का balance बनाना बहुत ज़रूरी है। Imagine करके देखो दोस्तों, अगर मेरी life, मेरी जिंदगी completely तरीके से मेरे main channel पर dedicated रहती। मेरा कोई vlog channel ना होता, मैं कोई travel ना कर रहा होता, कोई sports में involved ना होता। सिर्फ और सिर्फ दिन-रात अपने main channel पर काम करता और सिर्फ educational videos बनाता। क्या ये मेरे लिए अच्छा होता? क्या मुझे long-term happiness मिल पाती इस चीज में? इसका जवाब है obviously नहीं।



क्योंकि बहुत सारे ऐसे critical pillars हैं जो check में नहीं आ रहे होते। जिनसे पूरा का पूरा balance बिगड़ जाता है और हमारी जो इमारत खड़ी हो रही है इन pillars के ऊपर, जैसे मैंने पिछले lesson में बताया था, ये pillars synchronization में काम करते हैं एक-दूसरे के साथ। कई ऐसी activities हैं जो दूसरी activities को balance off करती हैं और इन सभी pillars में से जो सबसे essential pillar है, वो पहला वाला है physical activity का। चाहे आप अपनी जिंदगी में कुछ भी कर रहे हो, कोई भी job हो आपकी, कितने भी पैसे हो आपके पास, इससे फर्क नहीं पड़ता, ये पहला pillar check करना बहुत ज़रूरी है। इस पर बहुत सारी research और studies करी गई हैं। अगर आप properly workout नहीं करोगे और workout से मेरा मतलब ये नहीं है कि सिर्फ gym में जाकर workout करना, किसी भी sense में physical activity करना—running, swimming, और बहुत सारी अलग-अलग तरीके की sports खेल सकते हो आप। इन सब में से कुछ ना कुछ करना जरूरी है, अपने time के साथ।




क्योंकि अगर आप नहीं करोगे, तो इसका impact आपके overall happiness level पर पड़ेगा और आपकी productivity पर भी। World Health Organization की recommendation है कि moderate से intense physical activity कम से कम 60 minutes के लिए करें, एक दिन में। दिन में एक घंटा कम से कम अपनी fitness के लिए दो, health के लिए दो, इससे एक बहुत बड़ा impact पड़ेगा आपकी overall productivity में। और जब आप ये regularly करना शुरू करोगे, और अगर एक-दो दिन अगर miss कर देते हो, तो आप खुद notice करोगे कैसे आपकी productivity डाउन चली जाती है।


लेकिन इसके अलावा, बाकी सारे ऐसे pillars हैं जो एक-दूसरे को compliment करते हैं, एक-दूसरे के साथ काम करते हैं। अगर किसी एक pillar की activity को कुछ ज्यादा ही कर लिया, तो बहुत आसानी से overwhelming हो सकता है और आपको burn out भी हो सकता है।


Imagine करो, हमारी जो building है, वो इन 9 pillars के ऊपर खड़ी हुई है, और अगर एक pillar कुछ ज्यादा उंचा बन जाता है, तो हमारी जो ऊपर की building है, वो dagmagane लग जाएगी, बहुत unstable हो जाएगी। तो ये ensure करना ज़रूरी है कि इन pillars की जो height है, वो उसी proportion में हो। और साथ-साथ ये भी ध्यान में रखो, अगर ऊपर जो building खड़ी है, वो सिर्फ 2-3 pillars पर ही खड़ी है, तो बहुत unstable होगी, नीचे गिर सकती है। अगर 5-6 pillars होंगे, तो वो बहुत strongly खड़ी रहेगी, stable रहेगी। तो ये जो building ऊपर खड़ी है इन pillars के ऊपर, ये है आपकी जिंदगी में happiness और satisfaction। और एक typical life के किसी भी एक hafta में, या एक maheene में, मेरा मानना है कि इन pillars में से 7-8 तो कम से कम check होने चाहिए।


और ज़रूरी नहीं कि सब काम के थ्रू हो। आपकी personal life, आपकी hobbies, आपके free time में आप बाकी pillars पर focus कर सकते हो ताकि सही मायने में balance आ सके आपकी life में। यही मतलब है मेरा balance से।




Work-life balance नहीं, इन pillars को balance करना अपनी life में। अगर मैं दिन-रात सिर्फ अपने main channel पर काम करूं, 10-12 घंटे educational videos बनाने में लगा दूं, तो मुझे बहुत focus रहना पड़ेगा।


10-12 घंटे मुझे computer screen के सामने बैठा रहना पड़ेगा। और अगर 2-3 pillars satisfy हो रहे हैं, जैसे complex problem solving, creative work, लोगों की मदद करना, लेकिन बड़ी जल्दी मैं burn out कर जाऊंंगा। इसलिए मैं balance करता हूँ physical activity करके। मैं gym जाता हूँ, कभी cycling करता हूँ, कभी walk करने जाता हूँ, hiking करता हूँ, running करता हूँ। अलग-अलग activities मैं कोशिश करता हूँ, हर दिन कुछ ना कुछ करी जाएं।


लेकिन इसके अलावा, जो relaxing-type के pillars हैं, उसे भी मैं balance की तरह इस्तेमाल करता हूँ। जब मैं main channel से vlogs बना रहा हूँ, travel कर रहा हूँ, दुनिया घूम रहा हूँ, तो यह बहुत ही relaxing work है जो बिल्कुल compliment करता है उस focused work को। जब ये काम, इस काम के बाद में किया जाता है, एक सही balance रखा जाता है इन दो तरीके के कामों का, तो 100% satisfaction मिलती है और long-term happiness बढ़ती है, productivity बढ़ती है।


अगर आपके पास यहाँ पैसे नहीं हैं दुनिया travel करने के लिए, तो कोई बड़ी चीज़ नहीं है। आप फिर भी इस pillar को check कर सकते हो क्योंकि यहाँ पर मैंने लिखा है exploring new places। आप अपने शहर के अंदर अलग-अलग जगहें घूम सकते हो, अपने घर से बाहर निकलो, कुछ ऐसी जगहों पर जाओ जहाँ पर आप पहले कभी गए नहीं हो, अपने ही शहर के अंदर एक नए region को घूमो, एक नए area को घूमने निकलो, कोई नया park देखो, कोई नया mountain देखो, एक ऐसे restaurant में खाना खाने जाओ जहाँ आप पहले कभी खाने नहीं गए हो। इन सभी चीजों से आपको वही long-term satisfaction मिलेगी जो travelling से मिलती है।




अब धीरे-धीरे मैं चाहूंगा कि आप अपनी life को इस perspective से सोचना शुरू करो। कौन-कौन सी activities आप अपनी life में कर रहे हो, उन activities से कौन-कौन से pillars check हो रहे हैं और कौन-कौन से नहीं हो रहे हैं। कौन-कौन सी activities आप करना चाहोगे जिनकी वजह से नए pillars check में आए और कई सारी activities में हो सकता है आपको लगे कि इस चीज के लिए तो ज्यादा पैसे चाहिए, लेकिन alternatives हमेशा available हैं। जैसे कि नए skills सीखना, skydiving ही नहीं, आप नए hobbies भी सीख सकते हो, painting करना सीख सकते हो। उसमें कोई ज्यादा पैसे नहीं लगते, नया instrument बजाना सीख सकते हो—piano, guitar, tabla। नए business शुरू करने के पैसे नहीं हैं, तो नए ideas पर काम करना शुरू कर सकते हो जिनमें पैसे नहीं लगते। अपने mohalle में आसपास देखना कैसे...


आप लोगों की मदद कर सकते हो कैसे आप चीज़ों को बेहतर बना सकते हो। ब्रॉडली देखा जाए तो इन सभी activities को और इन 9 pillars को चार categories में डिवाइड किया जा सकता है। पहली वो activities जो mind के लिए relaxing हो, जैसे की नए instrument सीखना, painting करना, नए जगहों को explore करना। दूसरी वो activities हो गईं जहां mind की तरफ से focus की जरूरत होती है, पढ़ाई में, मेरे लिए video बनाते वक्त, अपने extreme में किया तो वो भी overwhelming कर सकता है, आपको burnout कर सकता है। और चौथी, वो activities हो गईं जो body के लिए relaxing हैं, जहां body ज्यादा काम नहीं कर रही है।


Almost हर एक activity आज के जमाने में जहां आप chair पर बैठकर कुछ भी काम करते हो, body को ज्यादा use नहीं करते हो, आपको देखना है कि आप अपना time कैसे balance out कर सकते हो इन complimentary activities में। Best चीज़ यहां पर यही है कि एक ही दिन के अंदर आप इन सब चीज़ों को balance करने की कोशिश करो। हर दिन कुछ ना कुछ ऐसा हो जो body के लिए focused हो और relaxing हो, और mind के लिए focused हो और relaxing हो।




 

यहां कोई hard and fast rule नहीं है कि exactly क्या mind और body के लिए relaxing है या आप खुद से judge कर सकते हो, जैसे कि complex problems को solve करना, उसमें mind का बहुत focus लगता है, बहुत concentration लगती है। लेकिन creative work, brainstorming करना, painting करना, drawing करना यह relaxing होता है। आपने अक्सर यह notice किया होगा कि आप सबसे ज्यादा creative कब होते हो? जब आप shower में नहा रहे होते हो, bathroom में नहाते वक्त आपका mind बहुत relaxed होता है, तभी सारे नए ideas आते हैं। या फिर अगर आप bus में बैठकर travel कर रहे हो, आप window से बाहर देख रहे हो, music सुन रहे हो, तब भी आप बहुत relaxed फील करते हो। या simply आप कहीं walk करने जाते हो, किसी garden में, वो भी बहुत relaxing activity है mind के लिए।


दूसरा एक example हो गया learning new things। ज़्यादा तर cases में नए चीज़ों को सीखने के लिए focus और concentration की जरूरत होती है। Similarly, working on new ideas के लिए भी काफी focus और concentration चाहिए होता है। लेकिन ज़्यादा तर लोग यहाँ पर क्या करते हैं? ज़्यादा तर लोग काम करने जाते हैं, दिन में 8 घंटे laptop के सामने बैठकर काम करते हैं, या students जो पढ़ाई करते हैं वो दिन में 8 घंटे पढ़ाई करते हैं table chair पर बैठकर। उसके बाद जब पढ़ाई से उन्हें mind off करना हो, तो relax करने के लिए उसी chair पर बैठकर phone उठा लेते हैं, phone पर scroll करना शुरू कर देते हैं। या फिर कुछ लोग WhatsApp उठा कर WhatsApp पर दोस्तों को text करने लग जाते हैं। क्या ये relaxing activity है mind के लिए? Bilkul भी नहीं है, क्योंकि आपको phone पर scroll करते वक्त दिमाग से ध्यान रखना पड़ता है कि स्क्रीन पर क्या चल रहा है, phone में कुछ sense में कह सकते हूं, mind के लिए थोड़ा सा relaxing है, लेकिन eyes के लिए bilkul भी relaxing नहीं है। Eyes हमेशा focus रह रही हैं।


दूसरा कुछ लोग क्या करेंगे? फिर work करने के बाद आकर 2 घंटे Netflix पर movie देख लेते हैं। क्या वो relaxing हुआ, body और mind के लिए? Movie देखते वक्त आपको concentrate करना पड़ता है, ध्यान देना पड़ता है कि exactly हो क्या रहा है movie में। वो relaxing नहीं है आपके लिए। अगर आप अपनी focused activity से relax activity से balance नहीं करोगे, तो यहां कोई balance नहीं हो रहा है।


आप और stressed ही feel करोगे, और burnout feel करोगे।


CREATING GOALS 



अक्सर job interviews में इस सवाल से आपसे पूछा जाता है, कि आप अपने आप को अगले दस सालों में कहाँ पर देखते हो। अब ये question भी अपने आप में कहीं न कहीं बहुत limited सा question है। जब लोग इस सवाल को सुनते हैं, तो वो सिर्फ इसे job या business के perspective से देखते हैं। कि वो अपने आप को दस साल बाद career में कहाँ पर देखते हैं। अपने business को दस साल बाद कहाँ पर देखते हैं। लेकिन मैं यहाँ चाहता हूँ कि आप जब अपने लिए goals बनाओ, तो सिर्फ इन एक-दो pillars of happiness के लिए नहीं, बल्कि ज़्यादा से ज़्यादा सभी pillars of happiness के लिए goals बनाओ। इसके लिए आपको अपने आप से पूछना होगा कि कौन सी activities और hobbies आप enjoy करते हो। jobs, पढ़ाई और business से हटकर आप क्या करना चाहते हो।


और जब आप goals के बारे में सोचो, तो goals हमेशा SMART goals होने चाहिए। SMART यानी Specific, Measurable, Attainable, Relevant, और Time-bound। इसके बारे में वैसे management की classes में पढ़ाया जाता है। जानते हो SMART goals क्या होते हैं?


S का मतलब है SPECIFIC (विशिष्ट)। आपका जो goal है, वो हमेशा स्पष्ट रूप से define होना चाहिए, कि exactly आप क्या चाहते हो। अगर आपने सिर्फ अपना goal बना लिया कि मुझे तो ameer बनना है, तो यह बहुत vague सा goal है। आपको यह भी सोचना होगा कि कितना ameer बनना है, कितने पैसे आपको kamane हैं। अगर आप इसे define नहीं करोगे, तो कभी achieve भी नहीं कर पाओगे।


जो भी आप goal बनाते हो, वह MEASURABLE (मेजर) होना चाहिए। अगर आप कहते हो कि मुझे healthy और fit बनना है, लेकिन आपको यह भी नहीं पता कि healthy और fit को measure कैसे किया जाए, तो यह goal achieve करना बहुत मुश्किल होगा।


A का मतलब है ATTAINABLE। आपका goal ऐसा होना चाहिए जिसे आप वास्तव में हासिल कर सकें। ऐसा नहीं कि आप goal तक कभी पहुँच ही न पाओ, या कोई भी आपके goal को achieve न कर सके।


R का मतलब है RELEVANT। यानी कि यह goal आपके लिए relevant होना चाहिए।


और सबसे importantly, T का मतलब है TIME-BOUND। यानी कि यह goal एक निश्चित time frame में define होना चाहिए, ताकि आप जान सको कि आप इस goal को कब तक achieve करेंगे। यह basic philosophy है दोस्तों, अपने goals बनाने के पीछे।


एक बार जब आपने यह goal define कर लिया, तो इसके बाद इस goal से related actions आप अपने ideal day (आदर्श दिन) या ideal week (आदर्श सप्ताह) में incorporate (इन्कॉरपोरेट) कर सकते हो।


How? यह बहुत ही simple है। आपको बस यह सोचना है कि अगर यह मेरा endpoint है, तो कौन सी journey मुझे उस endpoint तक लेके जाएगी। उस journey के लिए मुझे दिन-प्रतिदिन, हफ्ते-प्रतिहफ्ते क्या करना होगा, ताकि मैं उस endpoint तक पहुँच सकूं।


For example, मेरे YouTube channel पर मेरा goal है कि 2026 तक मैं 50 million subscribers के mark तक पहुँचूँ। सबसे पहले, मेरा SMART goal क्या है? SMART तो है, क्योंकि इसे measure (मेजर) किया जा सकता है — 50 million subscribers तक पहुँचना। अभी मैं 24 million पर हूँ, तो इसे measure किया जा सकता है। क्या यह attainable है? Of course, attainable है। इस level पर आकर कोई unrealistic goal नहीं है यह।


क्या यह time-based है? Yes, time-based है, क्योंकि मैंने इसके लिए एक deadline (डेडलाइन) दी है — 2026। क्या यह relevant है? मेरे लिए यह relevant है। और क्या यह specific है? Specific भी है।





अब इस goal से related, मुझे अपने ideal day में क्या करना होगा? मुझे अपने ideal day में videos shoot करने होंगे ताकि हर हफ़ते एक से दो videos release हो पाएं। साथ ही साथ creatively काम करना होगा views को बढ़ाने के लिए, subscribers बढ़ाने के लिए और नई strategies deploy करनी होंगी। तो इस goal से related एक action हो गया regular videos को shoot करना, अपने progress को track करना और analyze करने की कोशिश करना कि मैं अपने goal तक पहुँच पा रहा हूँ या नहीं। Exactly हर महीने मुझे कितने subscribers gain करने की जरूरत है इस goal तक पहुँचने के लिए। और ये subscribers पाने के लिए exactly मुझे दिन-प्रतिदिन क्या करने की जरूरत है।


लेकिन ये तो सिर्फ एक pillar of happiness हुआ। मेरे और goals हैं अलग-अलग pillars of happiness में, जैसे कि wake surfing मुझे करना बहुत पसंद है। इस activity में मेरा goal है कि मुझे एक 360-degree flip करना सीखना है। इस goal के लिए मुझे क्या करना होगा? दिन-प्रतिदिन practice करनी होगी। हफ़्ते-बर-हफ़्ते regular practice करनी होगी जब तक मैं ये achieve नहीं कर लेता।


Gym में मेरा एक अलग goal है कि मैं 60 kgs का bench press उठा पाऊं। उस goal के लिए मुझे क्या करना होगा? दिन-प्रतिदिन gym जाना होगा। साथ ही साथ diet पर भी focus करना होगा। उस goal से related action सिर्फ उस activity का नहीं होता, बल्कि बाकी और aspects में भी देखने को मिलता है। Sufficient protein मुझे खाना होगा, कम से कम एक Greek yogurt जिसमें इतना minimum amount protein हो, जिससे कि मेरा muscle mass reduce न हो और उस goal तक मैं पहुँच पाऊं।


End में एक चीज़ मैं और कहना चाहूँगा, जरूरी नहीं कि goal हर चीज़ में हमेशा होना चाहिए। पिछले lesson में मैंने बार-बार कहा था कि जरूरी नहीं कि हर चीज़ में goal हो, लेकिन अगर आपने एक goal बना लिया, तो उसकी ओर मेहनत जरूर करनी चाहिए। उससे पहले हमने बात की थी कैसे life को balance करना जरूरी है। आपको अपने आप से यह पूछना जरूरी है कि आप अपनी enjoyment के लिए, अपनी long-term happiness के लिए क्या करना चाहते हो।


अगर आप painting करना चाहते हो बिना किसी goal के, अगर आप guitar सीखना चाहते हो बिना किसी goal के, तो जरूरी नहीं कि आपको number one guitarist बन जाना है guitar सीखकर, या फिर painting सीखकर आपको number one painter बनना हो। कुछ चीज़ें सिर्फ personal enjoyment के लिए की जाती हैं। और अगर आप ऐसा करते हो सिर्फ अपनी खुशी के लिए, तो जरूरी नहीं कि आपका goal हो। क्योंकि ultimately जब मैंने long-term happiness की बात की थी, ये long-term happiness अपने आप में ही एक achievement है। ये अपने आप में ही एक goal है। जब आप इस journey में हो, तो कहीं पहुँचना जरूरी नहीं है।

HOMEWORK 




आपकी पहली assignment है कि आप अपना ideal day बनाओ। Imagine करो कि आपका ideal day कैसा देखना चाहिए। Hour by hour format में इस worksheet में अपनी activities भरो। आप इसे every half an hour के format में भर सकते हो और 24 hours तक पूरा complete करो एक दिन। इसके बाद आप अपना second ideal day और third ideal day बना सकते हो। क्या वो चीज़ें हैं जो आपकी करने की wish है और एक दिन जो आप करना चाहते हो। इन activities के लिए फिर अपनी ideal day या ideal week में जगहें बनाओ। और ideal day बनाते समय ये ज़रूर याद रखना कि आपके जो pillars of happiness हैं वो balance करने चाहिए एक दूसरे से। एक तरफ focused work दूसरी तरफ relaxed workMind और body दोनों चीज़ों का ख्याल रखना। इसके बाद आती है तीसरी assignment जो की है goals के ऊपर, आप अपनी जिंदगी में क्या achieve करना चाहते हो। इन homeworks को complete करने के बाद एक interesting चीज़ हो सकता है आपने notice करी हो कि money का यहाँ पर कितना कम role है। मैंने कहा जरूर था कि money एक base की तरह act करता है जिसके ऊपर ये नौ pillars खड़े होते हैं, लेकिन कितने paisa की actual में जरूरत होती है अपने dreams को achieve करने के लिए। जितने आप सोच रहे होगे उससे काफी कम। Money से ज़्यादा चीज़ जो matter करती है वो आपका time है। इन ही चीज़ों को सीखते हैं अगले कुछ sections में।


THE ULTIMATE DREAM


जब मैं स्कूल में था सेकंड क्लास में, मुझे याद है एक बार टीचर ने पूरी क्लास के सामने सभी बच्चों से पूछा कि बच्चों, आप सब के goals क्या है life में? आप क्या achieve करना चाहते हो? बढ़ाई typical सवाल है, जो स्कूल में अक्सर पूछा जाता है, आप से भी किसी ना किसी ने बचपन में कभी ना कभी जरूर पूछा होगा तो बात क्या है, जब मुझे से सवाल पूछा गया, मैंने टीचर को जवाब दिया कि मेरा goal है, मैं बड़े होकर pilot बनना चाहता हूँ। मुझे actually में उस age पर पता नहीं था कि pilot की job होती कैसी है। हाँ, मैं यह जरूर जानता था कि pilot plane उड़ाता है, लेकिन मुझे यह नहीं पता था कि एक typical day में pilot अपनी नौकरी में क्या-क्या करता है, exactly उसकी job कैसी होती है। मुझे बस यह पता था कि pilot एक बड़ी ही prestigious और respectable job होती है हमारे समाज में और शायद यही कारण है कि मैंने जवाब में कहा कि मैं बड़े होकर pilot बनना चाहता हूँ।


लेकिन कुछ साल fast forward करें तो यही सवाल दुबारा से एक बार टीचर ने क्लास 10th या 11th में पूछा था क्लास से और इस बार जो जवाब थे बच्चों के वो काफी अलग थे। एक लड़की ने मेरी क्लास में कहा कि वो एक ऐसी नौकरी करना चाहती है कि जल्दी से काफी सारे पैसे कमा पाए ताकि 40 की age तक जाकर वो retire हो सके आराम से। मैंने सोचा बड़ा ही कमाल का thought है यह। तो दूसरी तरफ एक लड़के ने कहा कि उसका goal है एक BMW की car खरीदना। तीसरा किसी ने कहा कि उसका goal है life में Google या Facebook जैसी company में नौकरी करना, एक ऐसी job जहाँ पर ढ़ेर सारे पैसे मिलते हो। अब मैं यहाँ आप से पूछना चाहता हूँ इन सारे अलग-अलग goals में आपको कोई problem दिखती है?


अब actually देखा जाए दोस्तों तो as such तो कोई problem नहीं है इन goals में। बहुत से लोगों के ऐसे goals होते हैं money कमाना, car रखना, एक बड़ा house खरीदना। लेकिन ज़रा ध्यान दो कि इन सभी goals में common चीज़ क्या है। इन सारे के सारे goals बड़े materialistic हैं। Car खरीदना, house खरीदना, एक certain amount of पैसे तक पहुँचना, लेकिन बात यहाँ मैं materialistic की नहीं कर रहा हूँ। जो progress related goals भी होते हैं, life में एक certain career point तक पहुँचना या फिर एक certain money के level तक पहुँचना या pilot की नौकरी करना। इन सभी तरीकों के goals में एक common problem है और एक common problem है कि ये सारे के सारे goals end point पर focus करते हैं, journey को नहीं देखते।


सोचकर देखो, आपका अगर goal है एक Porsche की car खरीदना, मान लो आप एक point पर पहुँच गए अपने career में जहाँ पर आप वो car खरीद पाते हो, उसके आगे क्या? क्या आप काम करना बंद कर दोगे? मान लो आपका goal था एक pilot बनना, आप pilot बन गए, उसके आगे क्या? हमें एक single end point पर focus करने की जगह है पूरी journey को देखना। यहाँ पर ज़रूरी है क्योंकि ये कहावत सुनी है ना आपने, Journey is more important than the destination। हमारी life में सबसे कीमती चीज़ है time और time को account में लिए बिना कोई भी goal अधूरा है। मेरा मानना है कि time एक continuously बहती हुई river की तरह है। Imagine करो, आप river में बह रहे हो, उसका current आपको downstream लेकर जा रहे है। Continuously आप flow किए जा रहे हो और जब हम end point focused goals बनाते हैं, हम focus करने लग जाते हैं उस river के एक random point पर कि देखो river के इस point तक पहुँचना हमारा goal है।


लेकिन सवाल ये कि उस point तक पहुँचने के बाद अब आगे क्या करोगे और उस point से पहले क्या आएगा, इन चीज़ों को कभी भी clearly define नहीं किया जाता। मेरा मानना है कि लाइफ में सबसे important moment वो point नहीं होता जब आपने कुछ achieve किया हो। वो point नहीं, जब आपकी नई नौकरी लग गई, आपको नया bonus मिल गया, आपका नया बच्चा हो गया, आपकी शादी हो गई, आपने school से pass out कर लिया, आपने नई university, college में admission ले लिया—ये defining moments होते हैं कईयों की ज़िंदिगियों के, लेकिन किसी की भी ज़िंदगी मेरा मानना है कि इन कुछ पल से define नहीं होनी चाहिए। लाइफ में असलियत में जो सही चीज़ में matter करता है, वो है हर पल, every passing moment, हर एक second जो गुजर रहा है। एक average दिन आपकी जिंदगी में, एक average हफ़ता, एक average महीना कैसे बीतता है आपकी ज़िंदगी में—ये matter करता है। इसलिए आप इस चीज़ पर इतना focus मत करो कि क्या बनना चाहते हो जिंदगी में। आप इस चीज़ पर focus करो कि आज, इस दिन, इस हफ़ते, इस महीने कैसे आप अपना समय बिताओगे, कैसे आप अपने time को spend करोगे। मैं चाहता हूँ कि आप life को हफ़तों में देखो। एक average week आपकी जिंदगी का कैसा दिखता है, और फिर सोचो कि आप अपना आदर्श हफ़ता कैसा बनाना चाहते हो। 


अपनी ideal week। इसका मतलब है कि ideally हर Monday सुबह के 8 बजे आप क्या करना चाहते हो, हर Sunday रात को 9 बजे आप अपना समय कैसे बिताना चाहते हो, हर Tuesday दोपहर की 12 बजे। ये सवाल थोड़े अजीव लगेंगे लेकिन आपको इसी तरीके से चीज़ों को सोचना होगा अगर आप journey पर ज्यादा focus करना चाहते हो। एंड point से। उदाहरण से समझते हैं। मैं क्या चाहता हूँ कि मेरा ideal Monday कैसा दिखे? Ideally मैं चाहता हूँ कि सुबह के 7 बजे मैं sunrise पर उठूँ (assuming sunrise 7 बजे उठता है), उसके बाद मैं चाहता हूँ कि 2 घंटे की कोई physical activity हो, 7-9 बजे। अब ये physical activity swimming हो सकती है, walk करना हो सकता है, surfing हो सकती है, running हो सकती है या फिर simply gym जाना हो सकता है। फिर मैं चाहता हूँ 9-10 बजे का समय रखा जाए अच्छा breakfast करने के लिए। उसके बाद 10 बजे से लेकर 1 बजे तक focused, concentrated work किया जाए research में और video topics को बेहतर समझने में। इसके बाद approximately 1 घंटे का lunch break, 1 बजे से लेकर 2 बजे तक, और उसके बाद 2 बजे से लेकर 5 बजे तक मैं समय बिताऊँ वीडियो को shoot करने में। फिर 5 बजे से लेकर 7 बजे तक physical activity हो या relax time हो, gym जाना हुआ। और शाम का समय 7 बजे से लेकर 9 बजे तक लोगों के साथ बात करना, relax करना और dinner करना। 



इसके बाद 9-10 बजे तक मैं चाहता हूँ एक घंटे तक reading करूँ और 10 बजे सो जाऊं। मेरा मानना है कि जितनी नींद की ज़रूरत हो उतना ज़्यादा आपको सोना चाहिए। मुझे personally थोड़ी सी ज्यादा नींद की ज़रूरत होती है, मैं 8-9 घंटे सोता हूँ। मोटे-मोटे तौर पर देखा जाए, मैं एक दिन में on average 6 घंटे काम करना चाहता हूँ, 4 घंटे outdoors में या physical activity करना चाहता हूँ और 9 घंटे सोना चाहता हूँ। ये है मेरा एक ideal weekday, क्योंकि मैंने इसे लिख रखा है। मेरी हमेशा कोशिश रहती है कि इसे जितना closely follow कर सकूँ, उतना closely follow करूँ। Obviously, कुछ चीजें हमेशा नहीं हो पाती follow जैसे कि मैं समुद्र के पास नहीं रहता कि surfing या snorkeling कर पाऊं हर दिन, इसलिए walking या running करनी पड़ती है। उपर से traveling के वक्त ये schedule ऊपर-नीचे हो जाता है।"



Flight timings को देखकर travelling में पूरा का पूरा दिन निकल जाता है लेकिन उसके लिए कुछ off days रखे जा सकते हैं week में लेकिन special scenarios को हमें वैसे भी exclude करना चाहिए लेकिन उसकी बात detail में home work वाले section में करेंगे क्योंकि home work बताने से पहले मैं कुछ और चीजें बताना चाहूँगा आपको क्योंकि पहला तो हो गया ideal Monday जैसा मैंने आपको बताया लेकिन धीरे-धीरे मैं चाहता हूँ कि आप ideal week के बारे में सोचें। एक week को दो categories के दिन में divide किया जा सकता है, एक ideal week day और एक ideal weekend day लेकिन मैं personally week day और weekend में नहीं बातता, ideal days को मैं इसे बातता हूँ। Ideal day 1, ideal day 2, ideal day 3 ideal day 1 मेरे लिए है जो typical Monday वाला schedule मैंने आपको बताया कि मैं घर पर रहकर क्या-क्या चीजें करना चाहूँगा। अगर मैं घर पर रहूँगा और completely different चीजें करना चाहता हूँ, ideal day 1 से, एक off day लेना चाहता हूँ काम से तो क्या मैं करूँगा, 


अपने ideal day 3 में मैंने वो लिख रखा है। यह चीजें strictly defined नहीं हैं, मैं आपकी ऊपर छोड़ता हूँ कि आप अपनी ideal week को ideal day 1, 2, 3 करके तीन अलग-अलग ideal days बनाते हो अपने लिए या फिर दो अलग-अलग ideal days बनाते हो weekday, weekend करके। या फिर आप इससे भी आगे जाकर चार अलग-अलग type के ideal days बनाना चाहते हो, क्योंकि आप में से कोई हो सकता है एक समय पर किसी एक शहर में रहता हो तो उस हिसाब से अपने ideal days बदल सकते हो depending on the location। लेकिन कम से कम दो अलग-अलग तरीके के ideal days तो आपको बनाने ही चाहिए, क्योंकि एक वो दिन हुए जब आप focused, concentrated तरीके से काम करते हो और दूसरे वो दिन हुए जब आप relaxed, creative type की activities करते हो। मकसद आपका ये भी होना चाहिए जिन 9 pillars of happiness की बात करी उन सभी activities को इन सारे ideal days में कहीं ना कहीं कुछ ना कुछ जगह मिल जाए और इन ही दिनों में अगर आप कुछ short term pleasure वाली चीजें भी add करना चाहते हो तो कर सकते हो, कोई इतनी बेकार चीज नहीं है। 


अगर आप एक हफ़ते में 2-3 घंटे के लिए movie देखने चले जाओ cinema hall में, मुझे भी पसंद है, मैं भी जाता हूँ लेकिन उन short term dopamine boost वाली activities को कम से कम रखने की कुछ करना, ऐसा नहीं कि एक दिन आप एक series देखने बैठे और एक के बाद binge करते गए 3-4 घंटे तक, वो चीज़ बहुत हानिकारक होती है। एक final और चीज़ मैं हाँ पर कहना चाहूँगा, हो सकता है time के साथ आपकी priorities बदले, आपके goals बदले और आपके ideal days भी बदले। कोई hard and fast rule नहीं है कि आप इन ideal days को आगे जाकर बदल नहीं सकते, हो सकता है कुछ महीने बाद आपको कुछ और करना पसंद आए, आपको शायद ज़िंदगी से कुछ और चाहिए, कोई और नई skill सीखनी है जिसके लिए time बनाना है, तो अपने ideal days को वैसे ही modify किया जा सकता है। यह बड़ी अहम बात है क्योंकि यही जिंदगी है। और एक बार जब आप ये home work कर लोगे, आप notice करोगे कि जो materialistic और progress related goals थे, जिनकी बात मैंने इस lesson के शुरू में करी थी, उनकी importance कितनी कम हो जाएगी आपकी जिंदगी में। जब समय की नदी नीचे बहेगी, जरूर कुछ ना कुछ landmarks से वो गुजरेगी, life में कुछ ऐसे मौके जरूर आएंगे जब आपको celebrate करना चाहिए नए landmarks आप reach करोगे, नए मुकाम पर पहुँचोगे, वो matter करते हैं। मैं ये नहीं कह रहा कि उन्हें बिल्कुल ही ignore कर दो, तो बस मैं ये कह रहा हूँ कि उनसे ज्यादा ये नदी का flow matter करता है कि दिन पर दिन आपका average day, average हफ्ता कैसा दिखता है। 



क्योंकि सोच कर देखो किसी भी नदी के flow को एकदम से बीच में टांग अड़ा के बदला नहीं जा सकता, ये नहीं कि आपने नदी के बीच में टांग अड़ा दी और उम्मीद करोगे कि नदी का flow एकदम से ऐसे बहने लग जाए। नदी का flow धीरे-धीरे, धीरे-धीरे करके आप बदल सकते हो, जब दिन पर दिन, दिन पर दिन, दिन पर दिन आप एक ऐसी चीज़ कर रहे हो repeatedly, जो आपको करनी पसंद है और बार-बार repetition से और अपने passion से आप नदी का flow बदल रहे हो और ये नदी यहाँ पर सिर्फ एक metaphor है समय के लिए। आप जब अपने average दिन और average week को मजबूत बनाते हो, तभी जाकर आप सही मायनों में अपनी जिंदगी में time को control कर सकते हो। हमें पूरे time का flow बदलना है, ऐसा नहीं है कि वो materialistic और progress related goals गलत हो, मैं बस चाहता था कि आप उस एक single point पर focus करने के बजाय पूरी नदी के flow पर focus करें, क्योंकि journey matters more than the destination। लेकिन चिंता मत करो, अगले lesson में जानते हैं कि अपने goals कैसे create करने हैं वो single end point वाले।


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